उत्सव के रंग...

भारतीय संस्कृति में उत्सवों और त्यौहारों का आदि काल से ही महत्व रहा है। हर संस्कार को एक उत्सव का रूप देकर उसकी सामाजिक स्वीकार्यता को स्थापित करना भारतीय लोक संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता रही है। भारत में उत्सव व त्यौहारों का सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है और हर त्यौहार के पीछे एक ही भावना छिपी होती है- मानवीय गरिमा को समृद्ध करना। "उत्सव के रंग" ब्लॉग का उद्देश्य पर्व-त्यौहार, संस्कृति और उसके लोकरंजक तत्वों को पेश करने के साथ-साथ इनमें निहित जीवन-मूल्यों का अहसास कराना है. आज त्यौहारों की भावना गौड़ हो गई है, दिखावटीपन प्रमुख हो गया है. ऐसे में जरुरत है कि हम अपनी उत्सवी परंपरा की मूल भावनाओं की ओर लौटें. इन पारंपरिक त्यौहारों के अलावा आजकल हर दिन कोई न कोई 'डे' मनाया जाता है. हमारी कोशिश होगी कि ऐसे विशिष्ट दिवसों के बारे में भी इस ब्लॉग पर जानकारी दी जा सके. इस उत्सवी परंपरा में गद्य व पद्य दोनों तरह की रचनाएँ शामिल होंगीं !- कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव (ब्लॉग संयोजक)

सोमवार, 23 अगस्त 2010

केरल, ओणम का त्यौहार और महाबली

सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक दृष्टिकोण से केरल बहुत ही धनी राज्य है I शायद इसलिये केरल को ईश्वर का अपना देश (God’s own country) कहते है I यहां के सभी त्योहार एवं उत्सव अपने विविधतापूर्ण रंगों के लिये विख्यात है I ओणम केरल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व है I ओणम का त्योहार अपने वैभवकारी अतीत, धर्म एवं आस्था, तथा अराधना की शक्ति में विश्वास को दर्शाता है I हरेक जाति एवं धर्म के लोग इस शस्योत्सव को अति श्रद्धा एवं उल्लास से मनाते हैI दंत कथाओ के अनुसार यह त्योहार राजा महाबली के स्वागत में मनाया जाता है जो की इसी ओणम के महिने में प्रत्येक वर्ष केरल की भूमि पर भ्रमण करने आते है I

ओणम का त्योहार मलयालम कैलेंडर (कोलवर्षम) के प्रथम महिने चिंगम में मनाया जाता है I चिंगम अंग्रेजी के महिने अगस्त-सितम्बर के समतुल्य होता है I दशहरा की तरह ओणम भी दस दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व है I इन दस दिनों में प्रथम दिवस अथम और दशम दिवस थिरुओणम सबसे महत्वपूर्ण होता है I सांस्कृतिक रूप से इतना धनी होने के कारण ही ओणम उत्सव को वर्ष १९६१ में केरल का राज्यकीय त्योहार घोषित कर दिया गया I उत्कृष्त भोजन, मनभावन लोकगीत, गजनृत्य (हाथियों द्वारा किया गया नृत्य), उर्जापूर्ण खेल-कूद, नाव और फूल ये सब मिलकर इस त्योहार को मनमोहक रूप प्रदान करते है I अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर ख्याति प्राप्त होने के कारण ही भारत सरकार द्वारा ओनम पर्व को पर्यटन सप्ताह घोषित किया जाता है I इस दौरान हजारों सैलानी पर्यटन के लिये केरल आते है I

भारत मे कोई भी त्योहार हो और खाद्य सामाग्री यथा पकवान, मिठाई, और स्वादिष्ट भोजन की बात न हो तो बात कुछ अटपटी सी लगती है I इस मामले में ओणम भी अन्य त्योहारो से अलग नहीं है I ओणसद्या के बिना ओणम पर्व की बात अधूरी लगती है I ओणसद्या एक पारंपरिक भोजन है I अमीर हो या गरीब सभी के लिये यह बहुत ही महत्वपूर्ण है I मलयालम में एक कहावत है- कानम विट्टम ओणम उन्ननम अर्थात एक ओणम सद्या के लिये लोग अपनी किसी भी वस्तु को बेचने के लिये तैयार हो जाते है I ओणसद्या दक्षिण भारतीय भोजन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है I सद्या केले के पत्ते पर परोसा जाता है I कभी ओणसद्या में चौसठ तरह के पदार्थ परोसे जाते थे, पर आजकल कुल मिलाकर ग्यारह तरह की वस्तुयें हीं परोसी जाती है I

ओणम के त्यौहार पर आप सभी को शुभकामनायें !!
साभार : चन्दन कुमार झा

8 टिप्‍पणियां:

mamta ने कहा…

ओणम के बारे मे जानकारी देने के लिए शुक्रिया ।
आपको ओणम की बधाई ।

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी...चन्दन जी और आपको बधाई.

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी...चन्दन जी और आपको बधाई.

Hari Shanker Rarhi ने कहा…

Nice post.South India is stick to its culture . Praiseworthy!

Bhanwar Singh ने कहा…

ओणम पर्व के बारे में अच्छी जानकारी मिल गई...आपका ब्लॉग वाकई कमाल का है..बधाई.

KK Yadav ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...चन्दन झा को साधुवाद.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी।

ओणम की हार्दिक शुभकामनाएँ!

सादर

D S TECHNO ने कहा…

I am new to your audience and hit this article as my first visit, I would say you are doing fantastic work, and of course, this would be super useful.

Government Circular, PDF Files