संसार में कई चीजें ऐसी होती हैं, जो हमें यूँ ही भाने लगती हैं। भारतीय संस्कृति में अधिकतर चीजें हमारे रीति-रिवाजों एवं संस्कारों से उद्गारित हैं तो पाश्चात्य संस्कृति में बाजार के प्रादुर्भाव से। ऋतुराज वसंत के आगमन के साथ ही चारो तरफ प्यार का खुमार चढ़ने लगता है। देवी सरस्वती की आराधना से लेकर होली की तैयारियों का इंतजाम देखते ही बनता है। पाश्चात्य संस्कृति का वैलेन्टाइन डे भी बहुत कुछ ऋतुराज वसंत से प्रभावित लगता है। फर्क मात्र इतना है कि भारतीय संस्कृति में जो चीजें संस्कारों के तहत होती हैं, पाश्चात्य संस्कृति में वही खुल्लम-खुल्ला होती हैं।
पाश्चात्य संस्कृति की ही देन है- सगाई की अंगूठी या इंगेजमेंट रिंग। किसी भी जोड़े के लिए इस रिंग का विशेष महत्व होता है। ईसाई धर्म में इस रिंग की खास पहचान होती है। वहाँ इसे मैरिज रिंग के तौर पर जाना जाता है और यह इस बात का परिचायक होता है कि विवाह हो चुका है। हिन्दू धर्म में रिंग पहनाना धार्मिक रिवाज तो नहीं है, पर रीति अवश्व बन चुकी है। ऐसी मान्यता है कि अनामिका उंगली में इंगेजमेंट/वेडिंग रिंग पहनने की शुरूआत मिस्र और रोम से हुई। मिस्र की सभ्यता में इसका चलन 4800 साल पहले से माना जाता है। तब अनामिका में पहनी जानी वाली इस रिंग को धार्मिक नजरिये से देखा जाता था। अनामिका के बारे में कहा जाता है कि यह दिल से जुड़ी होती है। यही वजह है कि दुनिया के कई देशों में अनामिका में इंगेजमेंट/वेडिंग रिंग पहनने का चलन है। कालान्तर में यह रिवाज भारत में आ गया। हिंदुओं में इंगेजमेंट के समय रिंग पहनाने का चलन है। शादी की अंगूठी अनामिका में ही पहने जाने के पीछे दिलचस्प मान्यता है कि अंगूठा माता-पिता, तर्जनी भाई-बहन, मध्यमा खुद का एवं अनामिका उंगली जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व करती है। वैदिक धर्म में अनामिका सूर्य की उंगली मानी जाती है। इसमें सूर्य की रेखा होती है। अगर किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो उसे इसमें सोने की अंगूठी पहनना चाहिए। सूर्य का रंग पीला होता है, इसलिए सोने से फायदा होता है। एक्यूप्रेशर विधि को अपनाने वालों के अनुसार वैवाहिक जीवन में मानसिक तनाव के दौरान भी यह रिंग फायदा देती है। इस उंगली में प्रेशर-प्वाइंट होता है, जिससे रिंग पहनने से आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है।
फिलहाल देश और धर्म की बात छोड़ दे तो इंगेजमेंट/वेडिंग रिंग लोगों की भावनाओं और प्यार से जुड़ी होती है। यह प्यारा अहसास विवाहित लोगों की जिंदगी में ताउम्र बरकरार रहता है। इस रोचक अहसास को महसूस करने हेतु ही 3 फरवरी को प्रतिवर्ष ‘वेडिंग रिंग्स डे‘ मनाने का प्रचलन पाश्चात्य संस्कृति में रहा है, जो अब इण्टरनेट, टी0वी0 चैनलों एवं प्रिन्ट मीडिया के माध्यम से भारत में भी पाँव पसार रहा है। इस दिन एक-दूजे को फिर से रिंग पहनाकर उस अहसास को जीवंत रखने का पल होता है।
पाश्चात्य संस्कृति की ही देन है- सगाई की अंगूठी या इंगेजमेंट रिंग। किसी भी जोड़े के लिए इस रिंग का विशेष महत्व होता है। ईसाई धर्म में इस रिंग की खास पहचान होती है। वहाँ इसे मैरिज रिंग के तौर पर जाना जाता है और यह इस बात का परिचायक होता है कि विवाह हो चुका है। हिन्दू धर्म में रिंग पहनाना धार्मिक रिवाज तो नहीं है, पर रीति अवश्व बन चुकी है। ऐसी मान्यता है कि अनामिका उंगली में इंगेजमेंट/वेडिंग रिंग पहनने की शुरूआत मिस्र और रोम से हुई। मिस्र की सभ्यता में इसका चलन 4800 साल पहले से माना जाता है। तब अनामिका में पहनी जानी वाली इस रिंग को धार्मिक नजरिये से देखा जाता था। अनामिका के बारे में कहा जाता है कि यह दिल से जुड़ी होती है। यही वजह है कि दुनिया के कई देशों में अनामिका में इंगेजमेंट/वेडिंग रिंग पहनने का चलन है। कालान्तर में यह रिवाज भारत में आ गया। हिंदुओं में इंगेजमेंट के समय रिंग पहनाने का चलन है। शादी की अंगूठी अनामिका में ही पहने जाने के पीछे दिलचस्प मान्यता है कि अंगूठा माता-पिता, तर्जनी भाई-बहन, मध्यमा खुद का एवं अनामिका उंगली जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व करती है। वैदिक धर्म में अनामिका सूर्य की उंगली मानी जाती है। इसमें सूर्य की रेखा होती है। अगर किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो उसे इसमें सोने की अंगूठी पहनना चाहिए। सूर्य का रंग पीला होता है, इसलिए सोने से फायदा होता है। एक्यूप्रेशर विधि को अपनाने वालों के अनुसार वैवाहिक जीवन में मानसिक तनाव के दौरान भी यह रिंग फायदा देती है। इस उंगली में प्रेशर-प्वाइंट होता है, जिससे रिंग पहनने से आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है।
फिलहाल देश और धर्म की बात छोड़ दे तो इंगेजमेंट/वेडिंग रिंग लोगों की भावनाओं और प्यार से जुड़ी होती है। यह प्यारा अहसास विवाहित लोगों की जिंदगी में ताउम्र बरकरार रहता है। इस रोचक अहसास को महसूस करने हेतु ही 3 फरवरी को प्रतिवर्ष ‘वेडिंग रिंग्स डे‘ मनाने का प्रचलन पाश्चात्य संस्कृति में रहा है, जो अब इण्टरनेट, टी0वी0 चैनलों एवं प्रिन्ट मीडिया के माध्यम से भारत में भी पाँव पसार रहा है। इस दिन एक-दूजे को फिर से रिंग पहनाकर उस अहसास को जीवंत रखने का पल होता है।
2 टिप्पणियां:
खूबसूरत जानकारी...आभार !!
इस दिन एक-दूजे को फिर से रिंग पहनाकर उस अहसास को जीवंत रखने का पल होता है।...Its Romantic.
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