संगीत भला किसे अच्छा नहीं लगता. कहते हैं कि संगीत प्राचीन काल से ही विभिन्न संस्कृतियों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम बखूबी कर रही है। वास्तव में देखा जय तो हर जगह भाषा, पहनावा और खानपान भले ही अलग हो, लेकिन हर देश के संगीत में सभी सात सुर एक जैसे ही होते हैं और लय-ताल भी एक सी होती है। इसी भावना को समाहित करते हुए सभी देशों के बीच संगीत के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए 1982 से हर वर्ष 21 जून को विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है. सबसे पहले फ्रांस से इसकी शुरुआत फेटे डी ला म्यूजिके के रूप में हुई। धीरे-धीरे इसके सुर हर देश में अपने रंग बिखेरने लगे. भारत के मशहूर सरोद वादक अयान अली खान की मानें तो -''पूरी दुनिया सात बुनियादी सुर और कुल 12 सुरों तथा एक ही जैसी लय-ताल की मौसिकी को सुनती-सुनाती है। चाहे कोई भी देश हो, हमने इसमें फर्क नहीं देखा।''
अजीम सरोद नवाज उस्ताद अमजद अली खान के पुत्र और शिष्य अयान सही फरमाते हैं कि-'' अर्थशास्त्र की भाषा में आजकल ग्लोबल विलेज अवधारणा की बात की जाती है, लेकिन मौसिकी के लिहाज से तो दुनिया बरसों से ग्लोबल विलेज थी।'' दुनिया भर में संगीत की यही खासियत है कि आप कहीं भी चलें जाएं या कोई भी संगीत सुनें तो आपको उसकी बुनियाद एक सी मिलेगी। अयान बताते हैं, हालिया वर्र्षो में बड़े-बड़े फनकारों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को दूसरे देशों के संगीत के साथ जोड़ने के लिए पहल की है। इस तरह मौसिकी के मामले में दूसरे देशों से भारत का आदान-प्रदान भी बढ़ा है। क्या भारतीय शास्त्रीय संगीत के मुरीदों के पश्चिमी संगीत को आसानी से स्वीकार नहीं करने के चलन में बदलाव आया है, इस पर उन्होंने कहा, भारतीय शास्त्रीय संगीत पहले से ही एक वर्ग विशेष की पसंद रहा है। काफी वक्त पहले यह बंद महफिलों से निकलकर ज्यादा लोगों तक पहुंचा। इस तरह लोगों के रूझान में बदलाव आया है।
हाल ही में ब्रिटेन का दौरा कर लौटीं देश की गिनी-चुनीं महिला पखावज वादकों में से एक चित्रांगना आगले बताती हैं, साजों की आवाज भले ही अलग-अलग हो, गायन शैली भी अलग हो लेकिन दुनिया भर में संगीत बुनियादी रूप से एक सा है। चित्रांगना कोरियाई साजों के संगीत और अपने साज पखावज में काफी समानता पाती हैं। उन्होंने कहा कि कोरियाई बैंड के ड्रमों को सुनने के बाद उन्होंने वादन की शैली में समानता देखी। इसी तरह गिटार और कुछ भारतीय साजों से निकलने वाले सुरों में भी समानता है। चित्रांगना ने बताया कि कोरिया के शास्त्रीय संगीतज्ञ भारतीय संगीत में काफी दिलचस्पी रखते हैं। इस तरह देशों के बीच संगीत के क्षेत्र में काम करने के लिए काफी अवसर मौजूद हैं।
4 टिप्पणियां:
nice
संगीत की खूबसूरत लहरियाँ..लाजवाब.
अच्छी जानकारी..सुन्दर आलेख.
पूरी दुनिया सात बुनियादी सुर और कुल 12 सुरों तथा एक ही जैसी लय-ताल की मौसिकी को सुनती-सुनाती है। चाहे कोई भी देश हो, हमने इसमें फर्क नहीं देखा....Bahut khub !!
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