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श्रम व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है। मेहनतकश मजदूरों के श्रम को श्रेष्ठ दर्जा देने और प्रोत्साहित करने के लिए 1 मई को पूरे विश्व में मजदूर दिवस के रुप में मनाया जाता है। इसके इतिहास में जाएँ तो उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दौर में श्रमिकों में हक के प्रति जागरूकता पैदा हुई । शिकागो में उन्होंने रैलियों, आमसभाओं आदि के माध्यम से अपने अधिकारों, पारिश्रमिक के लिए आग्रह करना आरंभ किया। धीरे-धीरे इन प्रयासों का असर बढ़ा और 1886 से 1889 तक आसपास के देशों में भी मजदूर और कर्मचारियों में अपने हक के प्रतिफल के लिए जागृति आ गई।
यह शिकागो विरोध काफी प्रसिध्द हुआ और 1890 में जब 1 मई को इसकी पहली वर्षगांठ मनाई गई तभी से मई दिवस मनाने का चलन आरंभ हुआ। मजदूरों ने आठ घंटे से अधिक काम लेने का विरोध करते हुए उचित पारिश्रमिक भुगतान की मांगे रखीं। इसके लिए यूनियन बनीं, धरने, भूख हड़ताल , रैलियां श्रमिकों के हथियार बन गये।अंतत: मई दिवस, श्रमिकों के लिए उत्सव का पर्याय बन गया. एक मई को सभी संस्थाओं में श्रमिकों को अवकाश दिया जाने लगा। आज श्रमिक दिवस हमें श्रम की महत्ता का अहसास कराता है !!
1 टिप्पणी:
आज श्रमिक दिवस हमें श्रम की महत्ता का अहसास कराता है...Agree.
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