उत्सव के रंग...

भारतीय संस्कृति में उत्सवों और त्यौहारों का आदि काल से ही महत्व रहा है। हर संस्कार को एक उत्सव का रूप देकर उसकी सामाजिक स्वीकार्यता को स्थापित करना भारतीय लोक संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता रही है। भारत में उत्सव व त्यौहारों का सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है और हर त्यौहार के पीछे एक ही भावना छिपी होती है- मानवीय गरिमा को समृद्ध करना। "उत्सव के रंग" ब्लॉग का उद्देश्य पर्व-त्यौहार, संस्कृति और उसके लोकरंजक तत्वों को पेश करने के साथ-साथ इनमें निहित जीवन-मूल्यों का अहसास कराना है. आज त्यौहारों की भावना गौड़ हो गई है, दिखावटीपन प्रमुख हो गया है. ऐसे में जरुरत है कि हम अपनी उत्सवी परंपरा की मूल भावनाओं की ओर लौटें. इन पारंपरिक त्यौहारों के अलावा आजकल हर दिन कोई न कोई 'डे' मनाया जाता है. हमारी कोशिश होगी कि ऐसे विशिष्ट दिवसों के बारे में भी इस ब्लॉग पर जानकारी दी जा सके. इस उत्सवी परंपरा में गद्य व पद्य दोनों तरह की रचनाएँ शामिल होंगीं !- कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव (ब्लॉग संयोजक)

रविवार, 26 सितंबर 2010

आज 'डाटर्स -डे' यानी बेटियों का दिन

आज डाटर्स डे है, यानि बेटियों का दिन. यह सितंबर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है अर्थात इस साल यह 26 सितम्बर को मनाया जा रहा है. गौरतलब है कि चाईल्‍ड राइट्स एंड यू (क्राई) और यूनिसेफ ने वर्ष 2007 के सितंबर माह के चौथे रविवार यानी 23 सितंबर, 2007 को प्रथम बार 'डाटर्स-डे' मनाया था, तभी से इसे हर वर्ष मनाया जा रहा है. इस पर एक व्यापक बहस हो सकती है कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस दिन का महत्त्व क्या है, पर जिस तरह से अपने देश में लिंगानुपात कम है या भ्रूण हत्या जैसी बातें अभी भी सुनकर मन सिहर जाता है, उस परिप्रेक्ष्य में जरुर इस दिन का प्रतीकात्मक महत्त्व हो सकता है. दुर्भाग्यवश हर ऐसे दिन को हम ग्रीटिंग्स-कार्ड, गिफ्ट और पार्टियों से जोड़कर देखते हैं. कार्पोरेट कंपनियों ने ऐसे दिनों का व्यवसायीकरण कर दिया है. बच्चे उनके माया-जाल में उलझते जा रहे हैं. डाटर्स डे की महत्ता तभी होगी, जब हम यह सुनिश्चित कर सकें कि-

१- बेटियों को इस धरा पर आने से पूर्व ही गर्भ में नहीं मारा जाना चाहिए।
२- बेटियों के जन्म पर भी उतनी ही खुशियाँ होंनी चाहिए, जितनी बेटों के जन्म पर।
३- बेटियों को घर में समान परिवेश, शिक्षा व व्यव्हार मिलना चाहिए. (ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी दोयम व्यवहार होता है)।
४- यह कहना कि बेटियां पराया धन होती हैं, उचित नहीं प्रतीत होता. आज के दौर में तो बेटे भी भी शादियों के बाद अपना अलग घर बसा लेते हैं।
५- बेटियों को दहेज़ के लिए प्रताड़ित करने या जिन्दा जलाने जैसी रोगी मानसिकता से समाज बाहर निकले।
६- बेटियां नुमाइश की चीज नहीं बल्कि घर-परिवार और जीवन के साथ-साथ राष्ट्र को संवारने वाली व्यक्तित्व हैं।
७-पिता की मृत्यु के बात पुत्र को ही अग्नि देने का अधिकार है, जैसी मान्यताएं बदलनी चाहियें. इधर कई लड़कियों ने आगे बढ़कर इस मान्यता के विपरीत शमशान तक जाकर सारे कार्य बखूबी किये हैं।
८-वंश पुत्रों से ही चलता है. ऐसी मान्यताओं का अब कोई आधार नहीं. लड़कियां अब माता-पिता की सम्पति में हक़दार हो चुकी हैं, फिर माता-पिता का उन पर हक़ क्यों नहीं. आखिरकार बेटियां भी तो आगे बढ़कर माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं.

....यह एक लम्बी सूची हो सकती है, जरुरत है इस विषय पर हम गंभीरता से सोचें की क्या बेटियों के बिना परिवार-समाज-देश का भविष्य है. बेटियों को मात्र बातों में दुर्गा-लक्ष्मी नहीं बनायें, बल्कि वास्तविकता के धरातल पर खड़े होकर उन्हें भी एक स्वतंत्र व्यक्तित्व का दर्ज़ा दें. बात-बात पर बेटियों की अस्मिता से खिलवाड़ समाज और राष्ट्र दोनों के लिए घातक है. बेटियों को स्पेस दें, नहीं तो ये बेटियां अपना हक़ लेना भी जानती हैं. आज जीवन के हर क्षेत्र में बेटियों ने सफलता के परचम फैलाये हैं, पर देश के अधिकतर भागों में अभी भी उनके प्रति व्यवहार समान नहीं है. समाज में वो माहौल बनाना चाहिए जहाँ हर कोई नि: संकोच कह सके- अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजौ !!

9 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

डाटर्स डे दिवस की बहुत बधाई....

संजय भास्‍कर ने कहा…

आज की बेटी जीवन के हर सोपान पर श्रेष्ठता का परचम लहरा रही है

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

हम बेटियों की बात ही निराली है.

Akanksha Yadav ने कहा…

@ वंदना जी,

यह शानदार चर्चा पढ़ी...इस पोस्ट की चर्चा के लिए आभार.

शरद कोकास ने कहा…

पूरी तरह सहमत

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

आज की बेटियां तो बेटों से काफी आगे हैं...शानदार प्रस्तुति.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

आज की बेटियां तो बेटों से काफी आगे हैं...शानदार प्रस्तुति.

Shyama ने कहा…

बेटियों के बिना यह जग ही अधूरा है...सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई.

shirish khare ने कहा…

are waah yah main kya dekh rahaa hoon. Dekhkar hairat hui anyway mubaarkbaad !!

shirish

shirish2410@gmail.com