उत्सव के रंग...

भारतीय संस्कृति में उत्सवों और त्यौहारों का आदि काल से ही महत्व रहा है। हर संस्कार को एक उत्सव का रूप देकर उसकी सामाजिक स्वीकार्यता को स्थापित करना भारतीय लोक संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता रही है। भारत में उत्सव व त्यौहारों का सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है और हर त्यौहार के पीछे एक ही भावना छिपी होती है- मानवीय गरिमा को समृद्ध करना। "उत्सव के रंग" ब्लॉग का उद्देश्य पर्व-त्यौहार, संस्कृति और उसके लोकरंजक तत्वों को पेश करने के साथ-साथ इनमें निहित जीवन-मूल्यों का अहसास कराना है. आज त्यौहारों की भावना गौड़ हो गई है, दिखावटीपन प्रमुख हो गया है. ऐसे में जरुरत है कि हम अपनी उत्सवी परंपरा की मूल भावनाओं की ओर लौटें. इन पारंपरिक त्यौहारों के अलावा आजकल हर दिन कोई न कोई 'डे' मनाया जाता है. हमारी कोशिश होगी कि ऐसे विशिष्ट दिवसों के बारे में भी इस ब्लॉग पर जानकारी दी जा सके. इस उत्सवी परंपरा में गद्य व पद्य दोनों तरह की रचनाएँ शामिल होंगीं !- कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव (ब्लॉग संयोजक)

सोमवार, 15 नवंबर 2010

आई लव टू राइट डे

लिखना हममें से अधिकतर की अभिरुचियों में शामिल है। कई मित्र अक्सर पूछते भी हैं कि इस अभिरुचि के क्या मायने हैं ?...इन्टरनेट संस्कृति ने कहीं न कहीं पढने और लिखने को प्रभावित किया है, पर पुस्तक में मुद्रित शब्दों को पढने का जो आनंद है, अन्यत्र कहीं नहीं. इसके सहारे न जाने कितनी दूर-दूर कि यात्रायें ख़त्म हो जाती हैं और कभी-कभी तो पूरी रात भी बिना पलक झपकाए किसी पुस्तक को पढ़कर ख़त्म करने का सुख ही कुछ और है.

.....खैर आज इसकी चर्चा का विशेष कारण है. 15 नवम्बर को 'आई लव टू राइट डे' मनाया जाता है. वर्ष 2002 में यह सर्वप्रथम मनाया गया और इसकी परिकल्पना मूलत: डेलवारे के लेखक जॉन रिडले ने की थी. इस पहल को स्वीकारते हुए डेलवारे के गवर्नर रुथ एन. मिनर ने 15 नवम्बर को आधिकारिक रूप से 'आई लव टू राइट डे' मनाये जाने की घोषणा की, जिसे बाद में पेनसेलवेनिया और फ्लोरिडा ने भी स्वीकार लिया. इसके तहत स्कूलों, लाइब्रेरी, कम्युनिटी सेंटर्स, बुक स्टोर्स इत्यादि में तमाम तरह की लेखन गतिविधियों का आयोजन किया गया. वस्तुत: इसका उद्देश्य हर आयु-वर्ग के लोगों को विभिन्न विधाओं- निबंध, पत्र, कहानी इत्यादि लिखने के लिए प्रवृत्त करना है......तो चलिए कुछ लिखते हैं, रचते हैं और फिर गुनते हैं। लेखन को समर्पित इस दिवस की ढेरों शुभकामनायें !!

12 टिप्‍पणियां:

Pratik Maheshwari ने कहा…

अच्छी जानकारी.. धन्यवाद..

PAWAN VIJAY ने कहा…

प्रिय श्री यादव जी,
आप शायद मुझसे वाकिफ नहीं होगे लेकिन मै आपसे साहित्यिक रूबरू हूँ. मै 'माटी'' पत्रिका का प्रबंध सम्पादक हूँ. माटी के प्रति आपका और आकांक्षा जी काप्यार सर्व विदित है. आपकी और आकांक्षा जी की रचनाये अक्सर माटी में छपा करती थी. ब्लॉग पर आपको पाकर हार्दिक प्रसन्नता हुयी.

KK Yadav ने कहा…

@ Dr. Pawan Ji,

धन्यवाद..आपको यहाँ देखकर अच्छा लगा. अपना स्नेह बनाये रहें. माटी के अंक अंडमान के पते पर भी भिजवाएं.

मनोज कुमार ने कहा…

यह तो मालूम नहीं था। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार-परिवार

Shyama ने कहा…

'आई लव टू राइट डे' के बारे में पहली बार पढ़ा, पर बड़ी अच्छी जानकारी . के.के. यादव जी को साधुवाद.

M VERMA ने कहा…

'आई लव टू राइट डे' एक सार्थक डे साबित होगी उम्मीद है

Akanksha Yadav ने कहा…

'आई लव टू राइट डे' के बारे में शानदार जानकारी. वाकई अब तो हर दिन ही कुछ न कुछ सन्देश देता है.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

'आई लव टू राइट डे' के बारे में बड़ी अच्छी जानकारी .

Unknown ने कहा…

हर दिन कुछ खास है...हम तो रोज ही कुछ न कुछ लिखते हैं भाई.

S R Bharti ने कहा…

लेखन को समर्पित दिन...बहुत खूब.

शिवा ने कहा…

आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ......

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

अरे वाह, अद्भुत दिन !!