मानव जीवन सबसे सुंदर और सर्वोत्तम होता है। मानव जीवन की खुशियों का कुछ ऐसा जलवा है कि भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय-समय पर धरती पर आते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने भी समय-समय पर मानव रूप लेकर इस धरती के सुखों को भोगा है। भगवान विष्णु का ही एक रूप कृष्ण जी का भी है जिन्हें लीलाधर और लीलाओं का देवता माना जाता है।
कृष्ण को लोग रास रसिया, लीलाधर, देवकी नंदन, गिरिधर जैसे हजारों नाम से जानते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा बताई गई गीता को हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ और पथ प्रदर्शक के रूप में माना जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी कृष्ण जी के ही जन्मदिवस के रूप में प्रसिद्ध है।
मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है। पुराणों में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है। इस साल जन्माष्टमी 28 अगस्त यानी आज है।
‘जन्माष्टमी’ के त्यौहार में भगवान विष्णु की, श्री कृष्ण के रूप में, उनकी जयन्ती के अवसर पर प्रार्थना की जाती है। हिन्दुओं का यह त्यौहार श्रावण (जुलाई-अगस्त) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भारत में मनाया जाता है। हिन्दु पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण का जन्म, मथुरा के असुर राजा कंस, जो उसकी सदाचारी माता का भाई था, का अंत करने के लिए हुआ था।
श्रीकृष्ण जी का जन्म मात्र एक पूजा अर्चना का विषय नहीं बल्कि एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान के श्रीविग्रह पर कपूर, हल्दी, दही, घी, तेल, केसर तथा जल आदि चढ़ाने के बाद लोग बडे़ हर्षोल्लास के साथ इन वस्तुओं का परस्पर विलेपन और सेवन करते हैं।
जन्माष्टमी के अवसर पर पुरूष व औरतें उपवास व प्रार्थना करते हैं। मन्दिरों व घरों को सुन्दर ढंग से सजाया जाता है व प्रकाशित किया जाता है। उत्तर प्रदेश के वृन्दावन के मन्दिरों में इस अवसर पर रंगारंग समारोह आयोजित किए जाते हैं। कृष्ण की जीवन की घटनाओं की याद को ताजा करने व राधा जी के साथ उनके प्रेम का स्मरण करने के लिए रास लीला की जाती है। इस त्यौहार को कृष्णाष्टमी अथवा गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। बाल कृष्ण की मूर्ति को आधी रात के समय स्नान कराया जाता है तथा इसे हिन्डौले में रखा जाता है। पूरे उत्तर भारत में इस त्यौहार के उत्सव के दौरान भजन गाए जाते हैं व नृत्य किया जाता है।
महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के दौरान, कृष्ण के द्वारा बचपन में लटके हुए छींकों (मिट्टी की मटकियों), जो कि उसकी पहुंच से दूर होती थीं, से दही व मक्खन चुराने की कोशिशों करने का उल्लासपूर्ण अभिनय किया जाता है। इन वस्तुओं से भरा एक मटका अथवा पात्र जमीन से ऊपर लटका दिया जाता है, तथा युवक व बालक इस तक पहुंचने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं और अन्तत: इसे फोड़ डालते हैं।
.....आप सभी को 'कृष्ण-जन्माष्टमी' पर्व की ढेरों बधाइयाँ !!
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